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यश मालवीय
रचनाकार मालवीय परिवार

इलाहाबाद में बसा यह परिवार 18 वीं शती में मालवा प्रदेश से आकर सिराथू के पास कड़े माणिकपुर धाम में बस गया था।ये लोग पहले मालवा प्रदेश से आने के कारण मालव कहलाए, कालान्तर में इसी वंश परम्परा के बाशिंदे मालवीय कहे जाने लगे। इस परिवार की शाखा प्रशाखा महामना पंडित मदन मोहन मालवीय से भी जुड़ती है।

1872 के आसपास कड़े माणिकपुर में ही रामेश्वरनाथ मालवीय का जन्म हुआ। ये स्थान अब कौशाम्बी ज़िले मे हो गया है,जो पहले इलाहाबाद ज़िले में ही पड़ता है।संत कवि मलूकदास भी इसी इलाके के थे, यहीं उनकी समाधि भी है गंगा तट पर, जिसके उत्तरी छोर पर रामेश्वरनाथ मालवीय रहते थे, उनके पिता यहीं रहकर खेती बारी करवाते थे और पुराने जमींदार थे।

हाई स्कूल होने पर रामेश्वरनाथ मालवीय की शादी, वहीं पड़ोस के गांव में कर दी गई । उनकी पत्नी का नाम सुखदेई था। सुखदेई और रामेश्वरनाथ जी से दो बेटियां और तीन बेटे कृष्णकांत मालवीय, रमाकांत मालवीय और उमाकांत मालवीय हुए। इसी बीच रामेश्वरनाथ जी की नौकरी बम्बई आज के मुंबई में पुलिस सुपरिटेंडेंट के रूप में लग गई।

वह अंग्रेजों का ज़माना था। एक बेकसूर व्यक्ति को फांसी दिए जाने पर विरोध में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी और फिर इलाहाबाद आकर एक शिक्षक के रूप में काम करने लगे थे। इस बीच यहां की उनकी जायदाद और खेती बारी की उचित देखभाल न होने के कारण,सब कुछ बिखर गया। रामेश्वरमनाथ जी के सबसे छोटे बेटे उमाकांत मालवीय का जन्म मुम्बई में ही 1931में हुआ,जो बाद में एक बड़े साहित्यकार के रूप में विख्यात हुए। रामेश्वरनाथ जी स्वयं एक बड़े भाषाविद, रामायण के विद्वान थे। नाटकों में भी काम करते थे। उनकी मृत्यु 1940 में हो गई थी।

उनके ही सांस्कृतिक संस्कार बालक उमाकांत में पुष्पित पल्लवित हुए। उमाकांत मालवीय ने इलाहाबाद से ही स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। जीविका के लिए पहले उन्होंने इलाहाबाद के इस्लामिया कॉलेज में हिन्दी का अध्यापन कार्य किया। बाद में इलाहाबाद में ही ए जी ऑफ़िस में उनका काम लग गया। यहीं पर रहते हुए, वो साहित्य सेवा भी करते रहे। 1960 में उनका विवाह ईशा मालवीय से हुआ । उनका महाप्रयाण 11 नवंबर 1982 को हो गया। उमाकांत जी और ईशा जो के तीन पुत्र हुए, यश,वसु और अंशु मालवीय। ये तीनों भी लेखन की ओर ही उन्मुख रहे और हिन्दी साहित्य में अपनी जगह बनाई ।

1997 में उमाकांत जी के मझले पुत्र वसु का एक सड़क दुर्घटना में अवसान हो गया। आज इस परिवार की चौथी पीढ़ी भी संस्कृति कर्म से संलग्न है। यश के बेटे सौम्य और अचिंत्य,वसु के बेटे पुनर्वसु और अंशु की बेटियां हीर और शीरी,सभी लेखन या फिर नाट्यकर्म से अपने को अभिव्यक्त कर रहे हैं।

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रामेश्वर नाथ मालवीय

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सुखदई मालवीय

वह अंग्रेजों का ज़माना था। एक बेकसूर व्यक्ति को फांसी दिए जाने पर विरोध में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी और फिर इलाहाबाद आकर एक शिक्षक के रूप में काम करने लगे थे। इस बीच यहां की उनकी जायदाद और खेती बारी की उचित देखभाल न होने के कारण,सब कुछ बिखर गया। रामेश्वरमनाथ जी के सबसे छोटे बेटे उमाकांत मालवीय का जन्म मुम्बई में ही 1931में हुआ,जो बाद में एक बड़े साहित्यकार के रूप में विख्यात हुए। रामेश्वरनाथ जी स्वयं एक बड़े भाषाविद, रामायण के विद्वान थे। नाटकों में भी काम करते थे। उनकी मृत्यु 1940 में हो गई थी।

उनके ही सांस्कृतिक संस्कार बालक उमाकांत में पुष्पित पल्लवित हुए। उमाकांत मालवीय ने इलाहाबाद से ही स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। जीविका के लिए पहले उन्होंने इलाहाबाद के इस्लामिया कॉलेज में हिन्दी का अध्यापन कार्य किया। बाद में इलाहाबाद में ही ए जी ऑफ़िस में उनका काम लग गया। यहीं पर रहते हुए, वो साहित्य सेवा भी करते रहे। 1960 में उनका विवाह ईशा मालवीय से हुआ । उनका महाप्रयाण 11 नवंबर 1982 को हो गया। उमाकांत जी और ईशा जो के तीन पुत्र हुए, यश,वसु और अंशु मालवीय। ये तीनों भी लेखन की ओर ही उन्मुख रहे और हिन्दी साहित्य में अपनी जगह बनाई ।

1997 में उमाकांत जी के मझले पुत्र वसु का एक सड़क दुर्घटना में अवसान हो गया। आज इस परिवार की चौथी पीढ़ी भी संस्कृति कर्म से संलग्न है। यश के बेटे सौम्य और अचिंत्य,वसु के बेटे पुनर्वसु और अंशु की बेटियां हीर और शीरी,सभी लेखन या फिर नाट्यकर्म से अपने को अभिव्यक्त कर रहे हैं।

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उमाकांत मालवीय

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वसु मालवीय

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अंशु मालवीय

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