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आसिफ उस्मानी

पुत्र स्व. हाजी मो. उस्मानी (रिटायर्ड प्रिन्सिपल जी.आई.सी.) दायरा शाह अजमल इलाहाबाद

दरगाह, दायरा शाह अजमल

यह दास्तान इस शहर की है जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है। यह शहर पहले प्रयागराज के नाम से जाना जाता रहा है। यह शहर इलाहाबाद गंगा और जमुना के पवित्र संगम पर बसा हुआ एक बड़ धार्मिक शहर है। जहाँ तारीख का सबसे बड़ा इंसानी मेला कुम्भ लगा करता था और लगातार होता चला आ रहा है। यह हिन्दुओं का एक बेहद पवित्र स्थान था और आज भी है। और इसकी भारत में बहुत बड़ी अहमियत है।

सम्राट अकबर ने लगभग 400 वर्ष पहले कढ़े मानिकपुर जो पहले सूबा (जिला) हुआ करता था। उसको हटा कर एक नया सूबा और शहर बसाया जिसका नाम सम्राट अकबर ने अल्लाहाबाद रखा जो बाद में इलाहाबाद के नाम से जाना गया। फिर धीरे धीरे हर तरह के लोगों के कारवाँ यहाँ आबाद होने लगे। इसमें मुस्लिम सूफी, सन्तों की कई टोली भी दूर-दूर से आकार आबाद होने लगी और यहाँ के पुराने बाशिन्दों के साथ घुल मिल गई उस सूफियों में एक खानदान शाह अजमल साहब का भी था। जो मेरे पुरखों के करीबी रिश्तेदार थे। और उस समय से इस इलाके का नाम दारा शाह अजमल कहलाने लगा। शाह अजमल साहब के पुर्खे गाजीपुर के तरफ से आये थे और अपने ज्ञान और सूफियत की वजह से इलाके में बड़ी इज्जत की निगॉह से देखे जाते थे। जहाँ के हमलोग रहने वाले है यह लगभग 1600 ई. के आस पास की बात है यह सभी लोग सैय्यद मुसलमान थे उसी जमाने में शाह अजमल साहब की लड़की का विवाह हमारे पुर्यो से (आसिफ उस्मानी) करार पाई जो जौनपुर के रहने वाले थे। और उस समय जौनपुर में लोगो को तालीम देने का काम करने लगे। ये बात 14वीं सदी के आस पास की है। जौनपुर में हमारे पुर्यो की रिश्तेदारी 1840 के आस पास दायरा शाह अजमल के पुर्खा से वैवाहिक सम्बन्धों से हुई इस प्रकार हम लोग दायरा शाह अजमल के रिश्तेदार हो गये। हमारे पुर्खे खव्वाजा उस्मान हरमनी की औलादों मे से है और ये लोग अजरबाइजान से लाहोर मियामीर जो उस समय के महान सूफी संत थे उनसे रिश्तेदारी होने की वजह से आये थे फिर उसके बाद हमारे पुर्खे जौनपुर आये।

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Maidaan, Darhgah Daira Shah Ajmal

इस प्रकार हम लोग 1858 ई. में रिशतेदारी के कारण दायरा शाह अजमल इलाहाबाद आ गये। दायरा शाह अजमल इलाहाबाद बड़े-बड़े आलिमों, सूफियों और दर्वेशों का गण रहा है। पिछले 400 सालों से आबाद है। यहां बड़े-बड़े शायर अदीब और राजनीतिक महान विभूतियों का मर्कज रहा है। जैसे शाह अफजल इलाहाबादी, शाह अजमल, शाह मीरअंजान, सैय्यद नजीर शाह, सैय्यद अहमद शाह बहुत से बुजुर्ग और महान लोग रहे। पिछले सौ वर्ष से जमाने के एतबार से भी बड़े-बड़े लोग पैदा किये जो अपनी फील्ड की बड़े माहिर थे। जैसे मौलाना राशिद फाखरी, मौलाना शाहिद फाखरी ये बड़े स्वतत्रंता संग्राम सेनानी थे और दायरा शाह अजमल के गद्दी नशीन और जिम्मेदार लोग थे जिसमें एक नाम सैय्यद अहमद साहब का भी है।

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400 year old, Historic Sufi Dargah, Daira Shah Ajmal, Allahabad.

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Darwaja, part of Dargah Daira Shah Ajmal

दायरा शाह अजमल में आजादी के बाद भी बड़े अहम और नामवर लोगों को पैदा किया जैसे शायरों में अजमल अजमली व अकमल अकमली जो तरक्की पसंद शायर थे और पूरे देश में जाने जाते है। ये भी इसी शाह अजमल साहब की औलादो मे से है। आज कल इन दिनों जहां जर्रार फाखरी साहब सारी गददी नशीनी की जिम्मेदारियां सम्भाले हुए है और इसी खानवादे के एक और शख्स प्रो. सेराज अजमली हेड आफ डिपार्टमेंट उर्दू अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवरसिटी उनका भी बड़ा नाम है। उसमे इस खानदान की एक और शख्सीयत जसबी फाखरी साहब जो कि एक सामाजिक कार्यकर्ता है ये भी शहर में अपनी शोहरत की वजह से जाने जाते है। इस तरह ये तमाम अजीम लोगों की सरजमीन (दायरा शाह अजमल) की वजह से इसकी चमक आज भी बर करार है। मैं नाचीज बन्दा मेरा ताल्लुक भी इसी दायरा शाह अजमल से है।

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Moulana Hafiz quari Syed Shahid Fakhri Ex-Sajjada Nasheen | Freedom fighter

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Syed Shah Nazeer Ahmad Ex - Sajjada Nasheen | Daira Shah Ajmal, Allahabad

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Mohammad Kazim Usmani

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